अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के पास लाखों …
अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के पास लाखों कार्यकर्ता होंगे, परंतु उनसे अपेक्षित धर्मसेवा नहीं होती; क्योंकि उनके पास, साधना न करने के कारण, आध्यात्मिक बल नहीं होता । – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के पास लाखों कार्यकर्ता होंगे, परंतु उनसे अपेक्षित धर्मसेवा नहीं होती; क्योंकि उनके पास, साधना न करने के कारण, आध्यात्मिक बल नहीं होता । – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
बुद्धिजीवियों का बुद्धि से परे के भगवान नहीं होते’, यह कहना वैसा ही है, जैसे आंगनवाडी के बालक का यह कहना कि ‘डॉक्टर, अधिवक्ता आदि नहीं होते !’’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘ईश्वर और साधना पर विश्वास न हो, तब भी चिरंतन आनंद प्रत्येक को चाहिए । वह आनंद केवल साधना से ही मिलता है । एक बार यह ध्यान में आने पर, साधना का कोई विकल्प न होने के कारण मानव साधना हेतु प्रवृत्त होता है ।’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘जिस प्रकार शरीर के कीटाणु शरीर में ली गई औषधियों से मरते हैं । उसी प्रकार वातावरण में विद्यमान नकारात्मक रज-तम यज्ञ के स्थूल और सूक्ष्म धुएं से नष्ट होते हैं ।’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘हिन्दू राष्ट्र में (ईश्वरीय राज्य में) समाचार पत्रिकाएं, दूरचित्रवाहिनियां, संकेतस्थल इत्यादि का उपयोग केवल धर्मशिक्षा और साधना हेतु किया जाएगा । इस कारण अपराधी नहीं होंगे और सभी ईश्वर के अनुसंधान में रहने के कारण आनंदी होंगे ।’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘निर्गुण ईश्वरीय तत्त्व से एकरूप होने पर ही खरी शांति का अनुभव होता है । तब भी शासनकर्ता जनता को साधना न सिखाकर ऊपरी मानसिक स्तर के उपाय करते हैं, उदा. जनता की अडचनें दूर करने के लिए ऊपरी प्रयत्न करना, मानसिक चिकित्सालय स्थापित करना इत्यादि ।’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘जो हिन्दू धर्म की आलोचना करते हैं, इस संसार में उनके समान अज्ञानी कोई नहीं है !’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘भारत के हिन्दुओं में हिन्दू धर्म के अतिरिक्त सभी बातें जैसे भाषा, त्यौहार, उत्सव, कपडे इत्यादि विविध राज्यों में अलग अलग हैं । इसलिए हिन्दुओं को केवल धर्म ही एकत्र ला सकता है । कम से कम अब तो हिन्दुओं को धर्म का महत्त्व समझकर, सभी को एकजुट करने का प्रयास करना अत्यावश्यक है ।’ … Read more
‘कीटाणु आँखों से दिखाई नहीं देते; परंतु सूक्ष्मदर्शी यंत्र से दिखाई देते हैं । उसी प्रकार जो सूक्ष्मदर्शी यंत्र से दिखाई नहीं देता, ऐसे सूक्ष्मातिसूक्ष्म विश्व साधना से समझ में आता है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
हिन्दू राष्ट्र में सब कानून धर्म पर आधारित होंगे । अतः उनमें संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी । इनके पालन से समाज अपराध-मुक्त होकर साधनारत होगा ! -(परात्पर गुरु) डॉ.आठवले