दैवी गुणोंसहित कर्म करने पर साधना होती है ।
दैवी गुणोंसहित कर्म करने पर साधना होती है । श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ
दैवी गुणोंसहित कर्म करने पर साधना होती है । श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ
‘सामने आनेवाला प्रत्येक मनुष्य को उस पल के लिए भगवान ने ही हमारे सामने भेजा है’, ऐसा विचार कर उसके लिए जितना कर पाएं, करना चाहिए । इससे जीवन सरल सुंदर बनता है । श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ
‘हिन्दुओ, स्वयं के साथ-साथ राष्ट्र एवं धर्म का भी विचार करो !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘राष्ट्र-धर्म अभिमानियों, केवल अपने ही क्षेत्र का नहीं; अपितु व्यापक होने हेतु चिकित्सा, न्याय, पुलिस, शासकीय कार्यालय इत्यादि सभी क्षेत्रों में हो रहे अन्याय को खोजकर, उसके विरुद्ध वैध मार्ग से आवाज उठाओ !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘स्वतंत्रता के उपरांत आज तक की पीढियों को ‘ईश्वर के अस्तित्व का’ सही ज्ञान न देने के कारण वे भ्रष्टाचारी, वासनांध, राष्ट्र एवं धर्म प्रेम रहित हो गई हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘वर्तमान में समाज में प्रत्येक व्यक्ति मान-सम्मान और प्रतिष्ठा के लिए विविध पदवियां एवं धन अर्जित करता है। इसके विपरीत सनातन संस्था में प्रत्येक व्यक्ति किसी भी व्यावहारिक फल की अपेक्षा न रख; तन, मन एवं धन का अधिकाधिक त्याग करता है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘व्यक्तिगत जीवन हेतु अधिक पैसे मिलते हैं; इसलिए सभी आनंद से अधिक समय (ओवरटाइम) काम करते हैं; परन्तु राष्ट्र और धर्म के लिए १ घंटा सेवा करने के लिए कोई तैयार नहीं होता !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘एक अरबपति का बेटा अपनी पूरी संपत्ती गंवा दे, उस प्रकार हिन्दुओं की पिछली पीढ़ियों ने पूरी धर्मसंपत्ती मिट्टी में मिला दी है !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘रोगों से बचाव हेतु टीकाकरण होता है; उसी प्रकार तीसरे विश्वयुद्ध के समय प्राणरक्षा हेतु साधना ही टीका है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘धर्मांतरण कराने के लिए ईसाईयों को प्रलोभन देना पडता है, मुसलमानों को धमकाना पडता है, जबकि हिन्दू धर्म के ज्ञान के कारण अन्य पंथीय हिन्दू धर्म की ओर आकर्षित होते हैं !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले