दलों के कार्यकर्ता और साधकों में भेद !
‘राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को स्वार्थ के लिए अपने दल की सरकार की आवश्यकता होती है । इसके विपरीत साधकों को ‘सभी की भलाई के लिए’ ईश्वरीय (धर्म) राज्य की आवश्यकता होती है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को स्वार्थ के लिए अपने दल की सरकार की आवश्यकता होती है । इसके विपरीत साधकों को ‘सभी की भलाई के लिए’ ईश्वरीय (धर्म) राज्य की आवश्यकता होती है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘अनेक लोग घूस लेकर काम करते हैं, वैसा ही अनेक मतदाता भी करते हैं । वे पैसे देनेवाले को मत देते हैं । मतदाताओं को घूस देनेवाले चुने जाते हैं और राज्य करते हैं । इस कारण तथाकथित लोकतंत्र में देश की स्थिति दयनीय हो गई है । इसका एक ही उपाय है और वह … Read more
‘राष्ट्रप्रेम और धर्मप्रेम रहित प्रत्याशी से पैसे लेकर उसे मत देनेवाली जनता का जनप्रतिनिधि बनकर चुने जाने की तुलना में ‘ईश्वर द्वारा भक्त के रूप में चुना जाना अनंत गुना अधिक महत्वपूर्ण है’, यह ध्यान में रखें !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘विचार स्वतंत्रता का अर्थ ‘दूसरों को आहत करना’ अथवा ‘धर्म के विरुद्ध बोलने की स्वतंत्रता नहीं है’, यह भी स्वतंत्रता के उपरांत विगत 74 वर्षों से भारत पर राज्य करनेवाले किसी भी राजनीतिक दल के ध्यान में नहीं आया !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘जिनके मन में राष्ट्र तथा धर्म के प्रति प्रेम है एवं जो उसके लिए कुछ करते हैं, उन्हीं को चुनाव में मत देने का अधिकार मिले । केवल तभी राष्ट्र की सर्वांगीण प्रगति होगी ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘राष्ट्र और धर्म के लिए कुछ कर पाएं, इसलिए कोई चुनाव में खडा नहीं होता; अपितु स्वयं को मान-सम्मान और पैसे मिलें, इसके लिए अधिकांश लोग चुनाव में खडे होते हैं !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘बुद्धिप्रमाणवादी आधुनिकतावादी नहीं; अधोगामी होते हैं । इसलिए वे अधोगति को प्राप्त करते हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘नष्ट करना सरल है, पर निर्माण करना कठिन है । तब भी हमें पराकाष्ठा के प्रयास कर साधक एवं हिन्दू राष्ट्र निर्माण करना है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘देश का कुछ भी हो मुझे पद मिले बस’ , इस वृत्ति के नेता हों, तो क्या कभी देश का भला होगा ?’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘मानव के अतिरिक्त अन्य कोई प्राणी अथवा वनस्पति छुट्टी नहीं लेता । ईश्वर भी एक भी सेकंड की छुट्टी नहीं लेते । मानव मात्र शनिवार एवं रविवार छुट्टी लेता है । इतना ही नहीं वर्ष में भी कुछ दिन अधिकारपूर्वक छुट्टी लेता है । ऐसे में इस विषय में मानव श्रेष्ठ है या प्राणी एवं … Read more