चाहे किसी भी पक्ष की सरकार हो, परंतु देवस्थान समिति भक्तों की ही होनी चाहिए !

शासन करनेवाले पक्ष के बदलने पर शासकीय समितियों पर नियुक्त पराभूत पक्षों के पदाधिकारियों के पदों पर सत्ताधारी पक्ष के नेताओं को नियुक्त किया जाता है । शासकीय समितियों में कुछ सरकारीकरण किए गए देवस्थानों के न्यासी समितियों का भी समावेश होता है । सत्ताधारी पक्ष के समान देवस्थान समितियों के पदाधिकारी भी बदलते हैं … Read more

हिन्दुओ, संतों के पास जानेके पश्चात आभार नहीं, अपितु कृतज्ञता व्यक्त करें !

‘कुछ हिन्दू लोग संतों के पास जाने के पश्चात अथवा संतोें के मार्गदर्शन के पश्चात उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं । किसी व्यावहारिक कार्य संपन्न होने के पश्चात उसे सहायता करनेवाले के प्रति औपचारिकता के रूप में आभार व्यक्त किए जाते हैं । इसके विरुद्ध जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होने के लिए संतों … Read more

आध्यात्मिक बल के बिना कोई व्यक्ति अथवा संस्था, ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना नहीं कर सकता !

जिस प्रकार, ‘पेट्रोल अथवा डीजल के बिना गाडी नहीं चलती, उसी प्रकार आध्यात्मिक बल के बिना कोई व्यक्ति अथवा संस्था, ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना नहीं कर सकता ! इसलिए, साधना करें !’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

राष्ट्रप्रेमियो एवं धर्मप्रेमियो, ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु प्रतिदिन भावपूर्ण सेवा करने से ही हिन्दू राष्ट्र स्थापित होगा

‘अधिकांश राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी कोई अवसर आने पर ही कार्य करते हैं, उदा. गोरक्षकों को गाय के कत्तलखाने में जाने के संदर्भ में ज्ञात होते ही वे कार्यरत होते हैं । अयोध्या में राममंदिर, गंगाप्रदूषण इत्यादि के संदर्भ में कार्य करनेवाले कभी कभार कार्य करते हैं । यदि ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने का ध्येय साध्य … Read more

कौन सा जप करना चाहिए ?

‘व्यष्टि साधना के लिए कुलदेवता का(अर्थात कुलदेव एवं कुलदेवी दोनों ही रहने पर कुलदेवी का एवं उन में एक रहने पर देवी अथवा देवता का), वह भी ज्ञात न रहने पर ‘श्री कुलदेवतायै नमः ।’, ऐसा नामजप करें । गुरुमंत्र मिला, तो उसका नामजप करें । समष्टि के लिए अर्थात ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु … Read more

‘कहां है आप का भगवान ?’, ऐसा कहनेवाले उचित भाष्य करते हैं..

‘कहां है आप का भगवान ?’, ऐसा कहनेवाले उचित भाष्य करते हैं; क्योंकि मृत्यु के पश्चात वे एक तो भगवान के, अन्यथा असुर के घर अथवा पाताल अथवा नरक में जाते हैं । इसलिए उन्हें ईश्वर कभी नहीं मिलता । -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

अध्यात्म में आयु का नहीं, अपितु आध्यात्मिक स्तर का महत्त्व होता है !

‘व्यावहारिक जीवन में हमसे अधिक आयु के व्यक्ति को हम नमस्कार करते हैं । इसके विपरीत अध्यात्म में आयु का नहीं, अपितु आध्यात्मिक स्तर का महत्त्व होता है ! छोटी आयु के संतों को भी बडे व्यक्ति सम्मान के साथ नमस्कार करते हैं ।’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु धर्मयुद्ध के कालानुसार आयुध तथा कालमाहात्म्यानुसार साधकों को होनेवाले कष्ट

१. वर्ष २०१३ तक : ‘सनातन संस्था द्वारा बताई गई साधना भक्तियोग के नामजप से आरंभ होती है । उसमें कर्मकांड में भक्तियोग की पूजा, धर्मग्रंथों का पठन, विधि, तिथिनुसार उपासना, यज्ञयाग, इत्यादि कुछ नहीं था । इतने वर्ष सूक्ष्म का महायुद्ध आरंभ था । इस युद्ध के आयुध थे नामजप, ध्यान, संतों के संकल्प, … Read more

भाजपा शासन को यह बात ध्यान में रखना आवश्यक है कि महाविद्यालय में रामायण, महाभारत तथा गीता पढाने के साथ ही छात्रों द्वारा साधना भी करवाना आवश्यक

‘१०.९.२०१५ को केंद्र के भाजपा शासन के सांस्कृतिक राज्यमंत्री महेश शर्मा ने यह वक्तव्य दिया कि, ‘‘महाविद्यालय में रामायण, महाभारत तथा गीता पढाएंगे !’’ किंतु उन्हें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि ये विषय केवल तात्त्विकदृष्टि से पढाने की अपेक्षा छात्रों द्वारा जिस प्रकार कसरत (व्यायाम) करवाते हैं, उसी प्रकार साधना भी करवाना आवश्यक … Read more

‘विज्ञान केवल स्थूल पंचज्ञानेंद्रियों के संदर्भ में ही संशोधन करता…

‘विज्ञान केवल स्थूल पंचज्ञानेंद्रियों के संदर्भ में ही संशोधन करता है, किंतु अध्यात्म केवल स्थूल एवं सूक्ष्म ही नहीं, अपितु सूक्ष्मतर एवं सूक्ष्मतम का भी विचार करता है !’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले