’माया में शिक्षा तन मन धन का उपयोग कर धन…

‘माया में शिक्षा तन मन धन का उपयोग कर धन प्राप्ति करना सिखाती है, पर साधना में तन मन धन का त्याग कर ईश्वर प्राप्ति करना सिखाते हैं।’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

शिष्य जब गुरु की बातें मानने का अभ्यस्त हो जाता…

शिष्य जब गुरु की बातें मानने का अभ्यस्त हो जाता है, तब वह ईश्वर की बातें मानने लगता है। ऐसे शिष्य को ही ईश्वर दर्शन देते हैं, इसलिए बुद्धिवादियों को ईश्वर दर्शन नहीं देते ! -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

अध्यात्म की तुलना में विज्ञान आंगनवाडी समान है ! अनेक…

अध्यात्म की तुलना में विज्ञान आंगनवाडी समान है ! अनेक वर्ष शोध करने के उपरांत वैज्ञानिक किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं । कुछ वर्षों में उसी सदंर्भ में नया शोध होता है और पहले के शोध भुला दिए जाते हैं । इसके विपरीत अध्यात्म में कोई शोध नहीं करना होता । ईश्‍वर से योग्य ज्ञान … Read more

ʻव्यवहार में अधिकाधिक कमाना होता है, तो साधना में सर्वस्व…

ʻव्यवहार में अधिकाधिक कमाना होता है, तो साधना में सर्वस्व का त्याग होता है; इसलिए व्यवहार के लोग दुःखी रहते हैं, तो साधक आनंदी रहते हैं ।ʼ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

भक्त को, साधना करनेवाले को ही ईश्वर बचाते हैं, यह…

भक्त को, साधना करनेवाले को ही ईश्वर बचाते हैं, यह ध्यान में रखकर अभी से तीव्र साधना करें, तो ही ईश्वर आपातकाल में बचाएंगेʼ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

ʻआपातकाल में बचने के लिए साधना करेंʼ

‘न मे भक्तः प्रणश्यति ।’ – श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ९, श्‍लोक ३१ अर्थ: मेरे भक्त का नाश नहीं होता । भक्त को, साधना करनेवाले को ही ईश्वर बचाते हैं, यह ध्यान में रखकर अभी से तीव्र साधना करें, तो ही ईश्वर आपातकाल में बचाएंगेʼ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले