आधुनिक शिक्षा प्रणाली के परिणाम !
‘मानवता सिखानेवाली साधना छोडकर अन्य सभी विषय सिखानेवाली आधुनिक शिक्षा प्रणाली के कारण राष्ट्र की परम अधोगति हुई है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘मानवता सिखानेवाली साधना छोडकर अन्य सभी विषय सिखानेवाली आधुनिक शिक्षा प्रणाली के कारण राष्ट्र की परम अधोगति हुई है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘भ्रष्टाचार, बलात्कार, राष्ट्रद्रोह, धर्मद्रोह बढने का मूल कारण है, समाज को सात्त्विक बनानेवाली साधना न सिखाना । जिन्हें यह भी नहीं समझ में आता, ऐसे सर्व दल राज्य करने के योग्य हैं क्या ? केवल हिन्दू (ईश्वरीय) राष्ट्र में ही रामराज्य की अनुभूति होगी ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को स्वार्थ के लिए अपने दल की सरकार की आवश्यकता होती है । इसके विपरीत साधकों को ‘सभी की भलाई के लिए’ ईश्वरीय (धर्म) राज्य की आवश्यकता होती है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘अनेक लोग घूस लेकर काम करते हैं, वैसा ही अनेक मतदाता भी करते हैं । वे पैसे देनेवाले को मत देते हैं । मतदाताओं को घूस देनेवाले चुने जाते हैं और राज्य करते हैं । इस कारण तथाकथित लोकतंत्र में देश की स्थिति दयनीय हो गई है । इसका एक ही उपाय है और वह … Read more
‘विचार स्वतंत्रता का अर्थ ‘दूसरों को आहत करना’ अथवा ‘धर्म के विरुद्ध बोलने की स्वतंत्रता नहीं है’, यह भी स्वतंत्रता के उपरांत विगत 74 वर्षों से भारत पर राज्य करनेवाले किसी भी राजनीतिक दल के ध्यान में नहीं आया !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘जिनके मन में राष्ट्र तथा धर्म के प्रति प्रेम है एवं जो उसके लिए कुछ करते हैं, उन्हीं को चुनाव में मत देने का अधिकार मिले । केवल तभी राष्ट्र की सर्वांगीण प्रगति होगी ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘राष्ट्र और धर्म के लिए कुछ कर पाएं, इसलिए कोई चुनाव में खडा नहीं होता; अपितु स्वयं को मान-सम्मान और पैसे मिलें, इसके लिए अधिकांश लोग चुनाव में खडे होते हैं !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘नष्ट करना सरल है, पर निर्माण करना कठिन है । तब भी हमें पराकाष्ठा के प्रयास कर साधक एवं हिन्दू राष्ट्र निर्माण करना है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘देश का कुछ भी हो मुझे पद मिले बस’ , इस वृत्ति के नेता हों, तो क्या कभी देश का भला होगा ?’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
नेताओं के सभी कार्यों का एकमात्र उद्देश्य होता है, ‘अगले चुनाव में चुनकर आना’, जबकि राष्ट्र और धर्म प्रेमियों को उद्देश्य होता है, ‘राष्ट्र और धर्म को अच्छी स्थिति में लाना ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले