जनता नशे की बलि न चढे, इस हेतु मूलगामी उपाय !
‘स्वतंत्रता के बाद से अभी तक की सरकारों ने राष्ट्र एवं धर्म भक्ति में रुचि निर्माण की होती, तो कोई भी शराब एवं सिगरेट के नशे की बलि न चढता !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले
‘स्वतंत्रता के बाद से अभी तक की सरकारों ने राष्ट्र एवं धर्म भक्ति में रुचि निर्माण की होती, तो कोई भी शराब एवं सिगरेट के नशे की बलि न चढता !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले
‘भारत के हिन्दुओं को ही नहीं, पूरे संसार की मानवजाति को हिन्दू धर्म का आधार प्रतीत होता है । इसलिए पूरे संसार के जिज्ञासु अध्यात्म सीखने के लिए भारत आते हैं । बुद्धिप्रमाणवादी, धर्म विरोधी एवं साम्यवादी, इनका तत्वज्ञान सीखने के लिए कोई भारत नहीं आता; परंतु यह भी उनको समझ में नहीं आता !’ … Read more
‘आदि शंकराचार्यजी ने भारत में सर्वत्र घूमकर हिन्दू धर्म के विरोधियों के साथ चर्चा की । उनसे जीतकर हिन्दू धर्म की पुनर्स्थापना की । उस काल के विरोधी चर्चा करते थे । इसके विपरीत आज के काल के धर्म विरोधी चर्चा न कर केवल शारीरिक और बौद्धिक गुंडागर्दी करते हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. … Read more
‘ब्राह्मण एवं गैर-ब्राह्मण विवाद निर्माण करनेवालों ने हिन्दुओं में दूरियां निर्माण की । इस कारण आज हिन्दुओं एवं भारत दोनों की ही स्थिति विकट हो गई है । अतः दूरियां निर्माण करनेवाले राष्ट्र एवं धर्म विरोधी ही हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले
‘हिन्दू राष्ट्र में अर्थात रामराज्य में बचपन से साधना करवाई जाएगी । इससे व्यक्ति में विद्यमान रज-तम की मात्रा घटकर व्यक्ति सात्त्विक बनता है । इस कारण ‘अपराध करना चाहिए’, ऐसा विचार भी उसके मन में नहीं आता । साधना के कारण पूरी प्रजा सात्त्विक बन जाती है और कोई भी अपराध नहीं करता !’ … Read more
‘विद्यार्थियों को निजी अनुशिक्षा वर्ग (ट्यूशन) में जाना पडता है, यह पाठशालाओं के लिए अत्यन्त लज्जाजनक है । गुरुकुल काल में निजी अनुशिक्षा वर्ग नहीं थे ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले
‘पूर्वकाल में राजा राजकाज त्याग करके वाणप्रस्थ आश्रम स्वीकार कर वन में जाते थे । स्वतंत्रता से लेकर अभी तक किसी भी शासनकर्ता ने क्या ऐसा किया है ? इसका उत्तर है नहीं और इसी कारण भारत की अधिकतम अधोगति हुई है ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले
‘पश्चिमी देशों में रोटी, कपडा और मकान होते हुए भी मानसिक अस्वस्थता के कारण वहां के नागरिक आत्महत्या करते हैं । इसके विपरीत भारत की जनता की रोटी, कपड़ा तथा मकान जैसी मूलभूत आवश्यकताएं भी स्वतंत्रता से लेकर अभी तक की सरकारों ने पूर्ण नहीं की, इसलिए यहां के नागरिक आत्महत्या करते हैं । इसे … Read more
‘धर्म विरोधकों के विचारों का खंडन करना समष्टि साधना ही है । इससे ‘धर्म विरोधकों के विचार अनुचित हैं’, यह कुछ लोगों को समझ में आता है एवं वे उचित मार्ग पर बढते हैं ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले
‘नैतिकता एवं आचारधर्म बचपन से न सिखानेवाले अभिभावकों एवं शासन के कारण भारत में सर्वत्र अनाचार, राक्षसी वृत्ति प्रबल हो गई है । इस स्थिति के कारण बलात्कार, भ्रष्टाचार, विविध अपराध, देशद्रोह एवं धर्मद्रोह की संख्या असीमित होकर देश रसातल में पहुंच गया है । इसका एक ही उपाय है और वह है धर्माधिष्ठित हिन्दू … Read more