पाश्चात्त्य संस्कृति .. हिन्दू संस्कृति..

‘पाश्चात्त्य संस्कृति स्वेच्छा को प्रोत्साहन देनेवाली व्यक्तिस्वतंत्रता का पुरस्कार करती है तथा दुःख को निमंत्रण देती है, तो हिन्दू संस्कृति ‘स्वेच्छा नष्ट कर सत्-चित्-आनंदावस्था की प्राप्ति कैसे करना’, इस बात का ज्ञान देती है ।’

‘कहां अल्प भौतिक सुख के लिए ईसाई धर्मपरिवर्तन करनेवाले हिन्दू,…

‘कहां अल्प भौतिक सुख के लिए ईसाई धर्मपरिवर्तन करनेवाले हिन्दू, तो कहां धर्म हेतु प्राण अर्पण कर इतिहास में अजरामर होनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज !’

‘हमारी गोशाला में ३०० गाए हैं, इस प्रकार संतोष व्यक्त…

‘हमारी गोशाला में ३०० गाए हैं, इस प्रकार संतोष व्यक्त करने की अपेक्षा ‘मैं ३०० गोरक्षकों को सिद्ध करुंगा’, ऐसा विचार एवं उसप्रकार कृत्य करने पर सहस्रों गायों के प्राण बचेंगे।’

संतों की तुलना में राजनीतिज्ञों का महत्त्व शून्य

राजनीतिज्ञ जनता को पैसे देकर एवं वाहन की सुविधा कर सभा में आमंत्रित करते हैं । इसके विपरीत भक्त संतों के पास एवं धार्मिक उत्सव में उन्हें बिना आमंत्रित किए ही लाखों की संख्या में आते हैं एवं पैसे अर्पण करते हैं ! इससे ध्यान में आएगा कि संतों की तुलना में ‘राजनीतिज्ञों का महत्त्व … Read more

हिन्दू धर्म का ध्येय

‘कहां पृथ्वी पर शासन करने का ध्येय रखनेवाले अन्य धर्म, तो कहाँ ‘प्रत्येक को ईश्वरप्राप्ति हो’, यह ध्येय रखने वाला हिन्दू धर्म !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

राष्ट्रप्रेमी हिन्दुओ, ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने के कार्य में हम ऐसा भाव रखें ..

राष्ट्रप्रेमी हिन्दुओ, ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने के कार्य में हम श्रीराम की वानरसेना के वानरों समान सहभागी हैं’, ऐसा भाव रखें ! यदि ऐसा भाव रखा, तो रामराज्य अर्थात ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना होते ही अपना भीr उद्धार होगा, अन्यथा ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना होने पर भी अहंभाव जागृत रहने से अपना उद्धार नहीं होगा … Read more

योगासन से ॐ एवं सूर्यनमस्कार हटानेवाले एवं त्रुटिपूर्ण शिक्षा देनेवाले धर्मद्रोहियो, यह ध्यान में लें !

क्या ‘योगासन से ॐ एवं सूर्यनमस्कार हटानेवाले स्वयं को ऋषिमुनियों की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान समझते हैं ? योगासन केवल शारीरिक नहीं, अपितु आध्यात्मिक व्यायाम हैं । मानसिक स्तर पर कार्य करनेवाले धर्मद्रोहियों का कार्य एवं नाम कुछ वर्षों के पश्चात ही किसी के ध्यान में नहीं रहता । इसके विपरीत ऋषियों के बताए हुए सूत्र … Read more

हिन्दुओं की अत्यंत दयनीय स्थिति

भारत के पास हिन्दू धर्म एवं धर्मपरंपरा के अतिरिक्त अभिमान प्रतीत होने समान क्या है ? बुद्धिप्रामाण्यवादी, साम्यवादी तथा जात्यंध आदि लोगों द्वारा बुद्धिभ्रम करने से हिन्दू धर्म दुर्लक्षित किया गया । इसीलिए हिन्दुओं की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है ।’

‘मंदिरों के सरकारीकरण से उनकी दयनीय अवस्था !

१. पुजारी तथा व्यवस्थापक सब सरकारी नौकर होते हैं; इसलिए, उनमें सरकारी नौकरों के सब होते हैं । २. अनेक राजनेता शासन से संबंधित व्यक्तियों को घूस देकर अथवा अनुचित कारणों से न्यासी बन बैठे हैं । अतः वे श्रध्दालुओं की सुविधा एवं मंदिर की पवित्रता की ओर ध्यान नहीं देते । ३. मंदिरों में … Read more

ऐसे सन्त हिन्दुओंके समक्ष आचारधर्मका आदर्श कैंसे रखेंगे ?

अनेक बार ऐसा दिखाई देता है कि सन्त किसी कार्यक्रमका उद्घाटन फीता काटकर करते हैं । विविध सम्प्रदायोंके नियतकालिकोंमें भी वैसा दर्शानेवाले छायाचित्र होते हैं । उन्हें इस बातका भी भान नहीं रहता कि पाश्‍चात्त्योंके समान फीता काटकर उद्घाटन करनेसे दर्शनार्थी हिन्दुओंपर हम अयोग्य संस्कार कर रहे हैं !