भारत को पुनः ‘विश्वगुरु’ बनाने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करें !

गुरुपूर्णिमा निमित्त परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का संदेश ‘गुरुपूर्णिमा अर्थात गुरुतत्त्व के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन ! सनातन धर्म की ज्ञानपरंपरा गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से ही प्रवाही है । इसी परंपरा ने भारत को ‘विश्‍वगुरु’ बनाया है । भारत के अध्यात्मविश्‍व में आज भी महान गुरु-शिष्य परंपरा कार्यरत है । आज … Read more

‘हिन्दु’ इस नाम से परिचय देते समय मुझे अभिमान प्रतीत होता है !

पाश्चात्त्य सिद्धांतों के अनुसार पाश्चात्त्य मनुष्य स्वयं के संबंध में कहते समय प्रथम अपने शरीर को प्राधान्य देता है तथा तत्पश्चात् आत्मा को । अपने सिद्धांतों के अनुसार मनुष्य प्रथम आत्मा है तथा तत्पश्चात् उसे एक देह भी है । इन दो सिद्धांतों का परीक्षण करने के पश्चात् आप के ध्यान में यह बात आएगी … Read more

गुरुपूर्णिमा : हिन्दुओ, भविष्य के भीषण समय में जीवित रहने हेतु संत एवं गुुरुदेवजी के मार्गदर्शन में साधना कीजिए !

भारत में हिन्दू राष्ट्र की अर्थात सनातन धर्मराज्य की पुनर्स्थापना करने हेतु समय के अनुसार प्रयास करना भी एक प्रकार से समष्टि गुरुकार्य ही है । आज के दिन धर्मनिरपेक्षतावादी, वामपंथी, बुद्धीजीवी एवं अहिन्दू राजनेता हिन्दू राष्ट्र इस शब्द का ही विरोध कर रहे हैं । अध्यात्म का अध्ययन न होने से उनको काल की … Read more

हिन्दू राष्ट्र में भ्रष्टाचार, बलात्कार इत्यादि क्यों नहीं होंगे ?

‘हिन्दू राष्ट्र की पाठशाला में भूगोल, गणित, रसायन शास्त्र जैसे जीवन में जिनका कोई उपयोग नहीं, ऐसे विषयों की अपेक्षा, ‘बच्चे सात्त्विक कैसे हों ?’, इसका अर्थ ‘साधना कैसे करें ?’ इसकी शिक्षा दी जाएगी । इस कारण जिस प्रकार रामराज्य में नहीं थे, उसी प्रकार भ्रष्टाचार, बलात्कार, गुंडागिरी, हत्या इत्यादि भी हिन्दू राष्ट्र में … Read more

हिन्दुआें, बुद्धिजीवि एवं सर्वधर्मसमभावालों द्वारा हिन्दू बच्चों को विद्यालय में हिन्दू धर्म की शिक्षा देने के लिए किए जा रहे विरोध को प्रखरता के साथ विरोध कर उनके प्रयासों को तोड डालिए !

मुसलमान एवं ईसाईयों के विद्यालयों में उनके धर्म की शिक्षा दी जाती है; किंतु इसके विपरीत हिन्दू बुद्धीजीवि एवं सर्वसमभाववाले विद्यालयों में हिन्दू धर्म की शिक्षा देने का विरोध करते हैं । उसके कारण हिन्दुआें की स्थिति केवल भारत में ही नहीं, अपितु विश्‍व में दयनीय हो चुकी है । इसका एकमात्र समाधान यह है … Read more

बुद्धिप्रामाण्यवादियों का अंधानुकरण ..

जिस प्रकार कुछ लोग अंधों का अनुकरण करते हैं, उसी प्रकार कुछ हिन्दू बुद्धिप्रामाण्यावादियों का अनुकरण करते हैं; इसलिए अंधे के खाई में गिरने पर उसका अनुकरण करनेवाले भी उसी खाई में गिर जाते हैं । उसी प्रकार ऐसे हिन्दू बुद्धिप्रामाण्यादियों के साथ अधोगति की ओर जा रहे हैं !’

कहां केवल स्वार्थ का विचार करनेवाले जात्यंध, तो कहां सर्वस्व का त्याग करने को सिखानेवाला धर्म !

‘सभी का विचार करने की अपेक्षा केवल अपनी जाति हेतु आरक्षण की मांग करना, यह स्वार्र्थपरता है तथा उसे स्वीकृति देना, यह जनता को अनपढ रखनेवाले राजनेताओं द्वारा स्वयं के स्वार्थ हेतु अपनाया गया निर्णय ! इसके विपरीत धर्म सर्वस्व का त्याग करना सिखाकर ईश्वरप्राप्ति करवाता है ।’

हिन्दुत्ववादियों की दयनीय सद्यस्थिति !

यदि गायों की हत्या हुई, तो गंगा प्रदूषण रोकने हेतु कार्यरत लोगों पर उस का कोई परिणाम नहीं होता एवं गंगा प्रदूषण रोकने हेतु कार्यरत लोगोंपर पुलिस ने लाठीहल्ला किया, तो गोरक्षकों पर उसका कोई परिणाम नहीं होता ! प्रत्येक को ‘हिन्दुओं के सभी प्रश्‍न मेरे ही हैं, ऐसा प्रतीत होगा, उसी समय ‘हिन्दू राष्ट्र’ … Read more

हिन्दुओ, वर्तमान के आपत्काल में मंदिरों का निर्माण कार्य करने में समय का अपव्यय करने की अपेक्षा स्वयं का अस्तित्व संजोने हेतु प्रयास करें !

‘एक देश के राज्यकर्ता वहां के हिन्दू समाज का अस्तित्व नष्ट करने हेतु प्रयत्न करते समय वहां के एक हिन्दुत्वनिष्ठ एक प्राचीन मंदिर का जीर्णाेद्धार होने हेतु स्वयं के समय का अपव्यय कर रहे हैं । आनेवाले आपत्काल में यदि उस देशके हिन्दू ही नष्ट हो गए, तो जीर्णाेद्धार किए मंदिर में कौन जाएगा ? … Read more

जाति अथवा पंथ का कार्य .. धर्म द्वारा किया गया कार्य..

‘किसी जाति का अथवा पंथ का कार्य करनेवालों का, अर्थात् जात्यंधों तथा पंथांधों का कार्य तात्कालिक स्वरूप में रहता है । मानवजाति हेतु धर्म द्वारा किया गया कार्य स्थल तथा काल की सीमा पार करता है ।’