पूर्वकाल का परिवार की भांति एकत्र रहनेवाला समाज और आज का टुकड़े-टुकड़े हो चुका समाज !
‘पूर्वकाल में समाज में निहित सात्त्विकता, सामंजस्य, प्रेमभाव इत्यादि गुणों के कारण समाजव्यवस्था भलीभांति बनी रहे, इसके लिए कुछ करना नहीं पडता था । आज समाज में वे घटक निर्माण होने हेतु धर्मशिक्षा ही नहीं दी जाती। इस कारण कानून की सहायता लेकर समाजव्यवस्था भलीभांति बनाए रखने के दयनीय प्रयास किए जाते हैं।’ – सच्चिदानंद … Read more