प्रशासन एवं नेताओं के लिए लज्जाजनक !

‘चूक होने पर सामान्य व्यक्ति भी क्षमा मांगता है; परंतु असंख्य चूकें करनेवाले पुलिस, प्रशासन के व्यक्ति तथा नेता क्या कभी एक बार भी क्षमा मांगते हैं ?’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

व्यवहार एवं अध्यात्म में भेद !

‘व्यवहार में पैसे मिलते हैं, तो व्यक्ति अपने पास रखता है; परंतु अध्यात्म में ईश्वर का प्रेम मिलता है, तो उसे संत सभी में बांटते हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

जनता नशे की बलि न चढे, इस हेतु मूलगामी उपाय !

‘स्वतंत्रता के बाद से अभी तक की सरकारों ने राष्ट्र एवं धर्म भक्ति में रुचि निर्माण की होती, तो कोई भी शराब एवं सिगरेट के नशे की बलि न चढता !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

*कृतघ्न युवक-युवतियां !

‘जिन माता पिता ने जन्म दिया और छोटे से बडा किया, उनके बुढापे में अनेक कृतघ्न युवक- युवतियां उनका ध्यान नहीं रखते । माता-पिता का ध्यान न रखनेवाले क्या कभी भगवान के प्रिय होंगे ?’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

निरर्थक बुद्धिप्रमाणवादी !

‘भारत के हिन्दुओं को ही नहीं, पूरे संसार की मानवजाति को हिन्दू धर्म का आधार प्रतीत होता है । इसलिए पूरे संसार के जिज्ञासु अध्यात्म सीखने के लिए भारत आते हैं । बुद्धिप्रमाणवादी, धर्म विरोधी एवं साम्यवादी, इनका तत्वज्ञान सीखने के लिए कोई भारत नहीं आता; परंतु यह भी उनको समझ में नहीं आता !’ … Read more

सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी यह ध्यान में रखें !

‘काम न करना, भ्रष्टाचार करना इत्यादि के अभ्यस्त हो चुके अधिकांश पुलिसकर्मी, सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी इन्हें कोई भी निजी प्रतिष्ठान एक भी दिन नौकरी के लिए नहीं रखेगा !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टर आठवले

आद्य शंकराचार्य के काल के और आज के काल के धर्म विरोधियों में भेद !

‘आदि शंकराचार्यजी ने भारत में सर्वत्र घूमकर हिन्दू धर्म के विरोधियों के साथ चर्चा की । उनसे जीतकर हिन्दू धर्म की पुनर्स्थापना की । उस काल के विरोधी चर्चा करते थे । इसके विपरीत आज के काल के धर्म विरोधी चर्चा न कर केवल शारीरिक और बौद्धिक गुंडागर्दी करते हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. … Read more

हिन्दुओं में दूरियां निर्माण करनेवाले राष्ट्र विरोधी ही हैं !

‘ब्राह्मण एवं गैर-ब्राह्मण विवाद निर्माण करनेवालों ने हिन्दुओं में दूरियां निर्माण की । इस कारण आज हिन्दुओं एवं भारत दोनों की ही स्थिति विकट हो गई है । अतः दूरियां निर्माण करनेवाले राष्ट्र एवं धर्म विरोधी ही हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

छोटे बच्चों जैसे बुद्धिप्रमाणवादी !

‘बुद्धिप्रमाणवादियों को कभी विश्वबुद्धि से ज्ञान मिलता है क्या ? ‘विश्वबुद्धि’ जैसा भी कुछ है और उस विश्वबुद्धि से ज्ञान मिलता है, यह भी उन्हें ज्ञात है क्या ? यह ज्ञात न होने के कारण ही छोटे बच्चे जैसे बडबडाते हैं; वैसे ही वे भी बडबडाते हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

आदर्श हिंदू राष्ट्र ही रामराज्य है !

‘हिन्दू राष्ट्र में अर्थात रामराज्य में बचपन से साधना करवाई जाएगी । इससे व्यक्ति में विद्यमान रज-तम की मात्रा घटकर व्यक्ति सात्त्विक बनता है । इस कारण ‘अपराध करना चाहिए’, ऐसा विचार भी उसके मन में नहीं आता । साधना के कारण पूरी प्रजा सात्त्विक बन जाती है और कोई भी अपराध नहीं करता !’ … Read more