ʻव्यवहार में अधिकाधिक कमाना होता है, तो साधना में सर्वस्व…

ʻव्यवहार में अधिकाधिक कमाना होता है, तो साधना में सर्वस्व का त्याग होता है; इसलिए व्यवहार के लोग दुःखी रहते हैं, तो साधक आनंदी रहते हैं ।ʼ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

भक्त को, साधना करनेवाले को ही ईश्वर बचाते हैं, यह…

भक्त को, साधना करनेवाले को ही ईश्वर बचाते हैं, यह ध्यान में रखकर अभी से तीव्र साधना करें, तो ही ईश्वर आपातकाल में बचाएंगेʼ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

ʻआपातकाल में बचने के लिए साधना करेंʼ

‘न मे भक्तः प्रणश्यति ।’ – श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ९, श्‍लोक ३१ अर्थ: मेरे भक्त का नाश नहीं होता । भक्त को, साधना करनेवाले को ही ईश्वर बचाते हैं, यह ध्यान में रखकर अभी से तीव्र साधना करें, तो ही ईश्वर आपातकाल में बचाएंगेʼ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

हिन्दुओ, राजनैतिक नहीं, अपितु धर्मसंस्थापना की विजय हेतु सीमोल्लंघन करें !

‘विजयादशमी का त्योहार शत्रु के राज्य में जाकर विजय हेतु सीमोल्लंघन करने की सनातन परंपरा बतानेवाला त्योहार है । यह दिन महिषासुर का वध करनेवाली श्री दुर्गादेवी और कौरवों का अकेले पराभव करनेवाले अज्ञातवासी अर्जुन का संस्मरण करने का दिन है । वर्तमान में विजयादशमी के दिन सीमोल्लंघन कर्मकांड के रूप में किया जाता है … Read more

भारत को पुनः ‘विश्वगुरु’ बनाने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करें !

गुरुपूर्णिमा निमित्त परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का संदेश ‘गुरुपूर्णिमा अर्थात गुरुतत्त्व के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन ! सनातन धर्म की ज्ञानपरंपरा गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से ही प्रवाही है । इसी परंपरा ने भारत को ‘विश्‍वगुरु’ बनाया है । भारत के अध्यात्मविश्‍व में आज भी महान गुरु-शिष्य परंपरा कार्यरत है । आज … Read more

चाहे किसी भी पक्ष की सरकार हो, परंतु देवस्थान समिति भक्तों की ही होनी चाहिए !

शासन करनेवाले पक्ष के बदलने पर शासकीय समितियों पर नियुक्त पराभूत पक्षों के पदाधिकारियों के पदों पर सत्ताधारी पक्ष के नेताओं को नियुक्त किया जाता है । शासकीय समितियों में कुछ सरकारीकरण किए गए देवस्थानों के न्यासी समितियों का भी समावेश होता है । सत्ताधारी पक्ष के समान देवस्थान समितियों के पदाधिकारी भी बदलते हैं … Read more

हिन्दुओ, संतों के पास जानेके पश्चात आभार नहीं, अपितु कृतज्ञता व्यक्त करें !

‘कुछ हिन्दू लोग संतों के पास जाने के पश्चात अथवा संतोें के मार्गदर्शन के पश्चात उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं । किसी व्यावहारिक कार्य संपन्न होने के पश्चात उसे सहायता करनेवाले के प्रति औपचारिकता के रूप में आभार व्यक्त किए जाते हैं । इसके विरुद्ध जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होने के लिए संतों … Read more

आध्यात्मिक बल के बिना कोई व्यक्ति अथवा संस्था, ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना नहीं कर सकता !

जिस प्रकार, ‘पेट्रोल अथवा डीजल के बिना गाडी नहीं चलती, उसी प्रकार आध्यात्मिक बल के बिना कोई व्यक्ति अथवा संस्था, ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना नहीं कर सकता ! इसलिए, साधना करें !’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

राष्ट्रप्रेमियो एवं धर्मप्रेमियो, ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु प्रतिदिन भावपूर्ण सेवा करने से ही हिन्दू राष्ट्र स्थापित होगा

‘अधिकांश राष्ट्र एवं धर्मप्रेमी कोई अवसर आने पर ही कार्य करते हैं, उदा. गोरक्षकों को गाय के कत्तलखाने में जाने के संदर्भ में ज्ञात होते ही वे कार्यरत होते हैं । अयोध्या में राममंदिर, गंगाप्रदूषण इत्यादि के संदर्भ में कार्य करनेवाले कभी कभार कार्य करते हैं । यदि ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करने का ध्येय साध्य … Read more