कहां केवल अनुमान व्यक्त करनेवाला विज्ञान और कहां ज्योतिषशास्त्र !

‘कहां भविष्य में क्या होनेवाला है, इसके विषय में किसी एक व्यक्ति के संदर्भ में भी सभी जांच करने के उपरांत भी न बता पानेवाला तथा प्रकृति के संदर्भ में केवल अनुमान व्यक्त करनेवाला विज्ञान; और कहां केवल प्रकृति का ही नहीं, अपितु प्रत्येक व्यक्ति का भविष्य जन्मकुंडली तथा नाडी पट्टिकाओं एवं संहिताओं के आधार … Read more

वास्तविक बुद्धिमान व्यक्ति ‘ईश्वर नहीं हैं’, ऐसा कहेगा क्या ?

‘बुद्धिप्रमाणवादियो और विज्ञानवादियो, क्या कभी सोचा है कि वैज्ञानिकों को खोज करने की बुद्धि किसने दी ? वह बुद्धि ईश्वर ने दी है । ऐसे में ‘ईश्वर नहीं हैं’, ऐसा कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति कहेगा क्या ?’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू धर्म में सहस्रों ग्रंथ होने का शास्त्र !

‘अनंत कोटि ब्रह्मांडनायक का अन्य धर्मों की भांति केवल एक पुस्तक में वर्णन किया जा सकता है क्या ? इसीलिए हिन्दू धर्म में सहस्रों ग्रंथ हैं । उनसे पूर्ण जानकारी मिलती है ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य हेतु समष्टि साधना आवश्यक !

‘व्यष्टि साधना में एक ही देवता की उपासना करते हैं; परंतु समष्टि साधना में अनेक देवताओं की उपासना करते हैं । लष्कर में पैदल सैनिक, टैंक, हवाई दल, नाविक दल इत्यादि अनेक विभाग होते हैं । उसी प्रकार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के समष्टि कार्य में अनेक देवताओं की उपासना, यज्ञ-याग इत्यादि करना पडता है … Read more

बुद्धिवादियों की अपेक्षा ‘मुझे दिखाई नहीं देता’, यह सत्य स्वीकार करनेवाला श्रेष्ठ !

‘मोतियाबिंदु से ग्रस्त व्यक्ति को बारीक अक्षर दिखाई नहीं देता । यदि कोई वह बारीक अक्षर पढ़कर सुनाए, तो मोतियाबिंदु से ग्रस्त व्यक्ति यह नहीं कहता कि, वहां अक्षर है, ऐसा झूठ कहकर आप भ्रमित कर रहे हैं । वह कहता है ‘मुझे बारीक अक्षर दिखाई नहीं देते ।’ चष्मा लगाने पर वह बारीक अक्षर … Read more

भारत और हिन्दू धर्म की असीमित हानि करनेवाले अभी तक के राजनेता !

‘शिक्षा के लिए संपूर्ण संसार से लोग भारत में आते हैं, ऐसा एक ही विषय है, वह है मनुष्य का चिरंतन कल्याण करनेवाला अध्यात्मशास्त्र और साधना । वह हिन्दू धर्म की संसार को देन है । ऐसा होते हुए भी भारत के अभी तक के राजनेता उसका महत्त्व समझ नहीं पाए । इसलिए उन्होंने स्वयं … Read more

‘चरित्रसंपन्न राष्ट्र’ आदर्श राष्ट्र है !

‘अश्लील चलचित्र’, ‘पब’, ‘लिव इन रिलेशनशिप’ जैसी बातों को शासनकर्ताओं ने मान्यता दी । इससे राष्ट्र की जनता का चरित्र नष्ट हो रहा है । ‘रामराज्य’ और छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दवी स्वराज्य’ आदर्श था; क्योंकि वे राज्य चरित्रसंपन्न थे । आजकल के शासनकर्ता यह ध्यान में रखकर ‘चरित्रसंपन्न राष्ट्र’ निर्माण करने का प्रयास करेंगे … Read more

बुद्धिवादी, सर्वधर्मसमभावी, साम्यवादी ही देश और धर्म के खरे शत्रु हैं !

‘बुद्धिवादियों के कारण हिन्दुओं की ईश्वर के प्रति श्रद्धा नष्ट हो गई । सर्वधर्मसमभाववादियों के हिन्दू धर्म की अद्वितीयता हिन्दू समझ नहीं पाए एवं साम्यवादियों के कारण हिन्दुओं ने ईश्वर को मानना छोड़ दिया । अतः ईश्वर की कृपा न होने से हिन्दुओं और भारत की स्थिति दयनीय हो गई है । हिन्दू राष्ट्र की … Read more

अहंभाव रखनेवाले लेखापरीक्षक और अहंभावशून्य ईश्वर

‘लेखापरीक्षक कुछ व्यक्तियों का लेखा परीक्षण करते हैं तथा उसका उन्हें अहंभाव होता है । इसके विपरीत ईश्वर अनंत कोटि ब्रह्मांड के प्रत्येक जीव के प्रत्येक क्षण का लेखा जोखा (अकाउंट) रखते हैं, तब भी वे अहंशून्य हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

अहंभाव रखनेवाले आधुनिक चिकित्सक (डॉक्टर) और अहंभावशून्य ईश्वर !

‘आधुनिक चिकित्सक (डॉक्टर) रोगियों को छोटे-बडे रोगों से बचाते हैं एवं उसका उन्हें अहंभाव होता है । इसके विपरीत ईश्वर साधकों को भवरोग से, अर्थात जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करते हैं, तब भी वे अहंशून्य होते हैं !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले