हिन्दू राष्ट्र के विषय में परिवर्तित होता दृष्टिकोण !

‘पहले लोगों को लगता था कि ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र’ एक सपना है । ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र्र’ कभी भी स्‍थापित नहीं हो सकता’; परंतु अब अनेक लोगों को लगता है कि ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना निश्‍चित ही होगी ।’ – (परात्‍पर गुरु) डॉ. आठवले

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ के विषय में उचित दृष्टिकोण !

‘हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना के कार्य में मैं सहायता करूंगा’, ऐसा दृष्‍टिकोण न रखें; अपितु यह मेरा ही कार्य है, ऐसा दृष्‍टिकोण रखें ! ऐसा दृष्‍टिकोण रखने पर कार्य अच्‍छे से होता है और स्‍वयं की भी प्रगति होती है ।’ – (परात्‍पर गुरु) डॉ. आठवले

‘साम्यवाद’ शब्द का कुछ अर्थ है क्या ?

‘शरीर की बनावट, स्वभाव के गुण-दोष, कला, बुद्धि, धन इत्यादी घटकोंं में ७५० करोड़ में से २ व्यक्तियों में भी समानता नहीं है । ऐसे में ‘साम्यवाद’ शब्द का कुछ अर्थ है क्या ?’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

कृतघ्न वर्तमान पिढी

‘धर्मशिक्षा और साधना के अभाव में कृतघ्न वर्तमान पिढी को माता-पिता की संपत्ति तो चाहिए; पर वह वृद्ध माता-पिता की सेवा करना नहीं चाहते ।’  -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

आश्‍चर्य

‘पैसा अर्जित करने की अपेक्षा उसका त्याग करना अधिक सुलभ है, तब भी मानव नहीं करता, यह आश्‍चर्य है !’ – परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू राष्ट्र में अपराधी नहीं होंगे !

समाज सात्विक होने के लिए धर्मशिक्षा न देकर केवल अपराधियों को दंड देने से अपराध नहीं घटते, यह भी समझ न पानेवाले आज तक के शासकर्ता। हिन्दू राष्ट्र में सभी को धर्मशिक्षा दी जाएगी। जिससे अपराधी ही नहीं रहेंगे ! – परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

धर्मशिक्षा के अभाव में हुई हिन्दुओं की दुर्दशा !

‘स्वतंत्रता से लेकर आज तक किसी भी दल के राज्यकर्ता और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन ने हिन्दुओं को धर्मशिक्षा नहीं दी । इस कारण अब हिन्दुओं को ‘रामायण, महाभारत’, ये शब्द ही ज्ञात हैं । उनकी किसी भी शिक्षा का उन्हें स्मरण नहीं होता ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

अपनी अनमोल धरोहर को विस्मृत करनेवाले हिन्दू !

‘हिन्दू धर्मग्रंथों में ज्ञान की अनमोल धरोहर है । उनमें जीवन की सभी समस्याओं के उपाय दिए हैं । तब भी आज हिन्दू पश्चिमी विचारधारा और तकनीक के माध्यम से अपने जीवन की समस्याएं दूर करने के प्रयत्न करते हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

हिन्दुओं अब तो जाग जाओ और इतिहास से शिक्षा लो !

‘कुछ भी अनुचित होने पर हिन्दू प्रत्येक बार ’हमसे कहां न्यूनता रही’, इसका विचार न कर, अंग्रेजी शिक्षाप्रणाली इत्यादि को दोष देते हैं । अंग्रेजों के आने से पहले मुसलमानों ने भी भारत पर राज्य किया । ‘इसके लिए अंग्रेज नहीं, अपितु हिन्दुओं की अनुचित विचारधारा ही कारणीभूत है !’, यह वे ध्यान में नहीं … Read more

अध्यात्म में स्त्रियां पुरुषों की तुलना में एक स्तर आगे होने का कारण

‘अधिकांश पुरुष कार्य के निमित्त रज-तमप्रधान समाज में रहते हैं । इसका उनपर परिणाम होने से वे भी रज-तमयुक्त होते हैं । इसके विपरीत, अधिकांश स्त्रियां घर में रहती हैं । उनका समाज के रज-तम से संपर्क नहीं होता । इसलिए वे साधना में शीघ्र प्रगति करती हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले (१४.११.२०२१)