हास्यास्पद बुद्धिप्रमाणवादी !
‘जैसे प्राथमिक कक्षा में पढनेवाला बच्चा स्नातकोत्तर अथवा डॉक्टरेट कर चुके व्यक्ति से विवाद करेगा, वैसे बुद्धिप्रमाणवादी अध्यात्म के अधिकारी व्यक्ति से विवाद करते हैं !’ – परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘जैसे प्राथमिक कक्षा में पढनेवाला बच्चा स्नातकोत्तर अथवा डॉक्टरेट कर चुके व्यक्ति से विवाद करेगा, वैसे बुद्धिप्रमाणवादी अध्यात्म के अधिकारी व्यक्ति से विवाद करते हैं !’ – परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘पाश्चात्त्यों को शोध करने के लिए यंत्रों की आवश्यकता होती है । ऋषियों और संतों को उनकी आवश्यकता नहीं होती । उन्हें यंत्रों से अनेक गुना अधिक जानकारी प्राप्त होती है ।’ – परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘पहले लोगों को लगता था कि ‘हिन्दू राष्ट्र’ एक सपना है । ‘हिन्दू राष्ट्र्र’ कभी भी स्थापित नहीं हो सकता’; परंतु अब अनेक लोगों को लगता है कि ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना निश्चित ही होगी ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में मैं सहायता करूंगा’, ऐसा दृष्टिकोण न रखें; अपितु यह मेरा ही कार्य है, ऐसा दृष्टिकोण रखें ! ऐसा दृष्टिकोण रखने पर कार्य अच्छे से होता है और स्वयं की भी प्रगति होती है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘शरीर की बनावट, स्वभाव के गुण-दोष, कला, बुद्धि, धन इत्यादी घटकोंं में ७५० करोड़ में से २ व्यक्तियों में भी समानता नहीं है । ऐसे में ‘साम्यवाद’ शब्द का कुछ अर्थ है क्या ?’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘धर्मशिक्षा और साधना के अभाव में कृतघ्न वर्तमान पिढी को माता-पिता की संपत्ति तो चाहिए; पर वह वृद्ध माता-पिता की सेवा करना नहीं चाहते ।’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘पैसा अर्जित करने की अपेक्षा उसका त्याग करना अधिक सुलभ है, तब भी मानव नहीं करता, यह आश्चर्य है !’ – परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
समाज सात्विक होने के लिए धर्मशिक्षा न देकर केवल अपराधियों को दंड देने से अपराध नहीं घटते, यह भी समझ न पानेवाले आज तक के शासकर्ता। हिन्दू राष्ट्र में सभी को धर्मशिक्षा दी जाएगी। जिससे अपराधी ही नहीं रहेंगे ! – परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘स्वतंत्रता से लेकर आज तक किसी भी दल के राज्यकर्ता और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन ने हिन्दुओं को धर्मशिक्षा नहीं दी । इस कारण अब हिन्दुओं को ‘रामायण, महाभारत’, ये शब्द ही ज्ञात हैं । उनकी किसी भी शिक्षा का उन्हें स्मरण नहीं होता ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘हिन्दू धर्मग्रंथों में ज्ञान की अनमोल धरोहर है । उनमें जीवन की सभी समस्याओं के उपाय दिए हैं । तब भी आज हिन्दू पश्चिमी विचारधारा और तकनीक के माध्यम से अपने जीवन की समस्याएं दूर करने के प्रयत्न करते हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले