विचार स्वतंत्रता और राजनीतिक दलों की अनभिज्ञता !

‘विचार स्वतंत्रता का अर्थ ‘दूसरों को आहत करना’ अथवा ‘धर्म के विरुद्ध बोलने की स्वतंत्रता नहीं है’, यह भी स्वतंत्रता के उपरांत विगत 74 वर्षों से भारत पर राज्य करनेवाले किसी भी राजनीतिक दल के ध्यान में नहीं आया !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

राष्ट्र की सर्वांगीण प्रगति का मार्ग !

‘जिनके मन में राष्ट्र तथा धर्म के प्रति प्रेम है एवं जो उसके लिए कुछ करते हैं, उन्हीं को चुनाव में मत देने का अधिकार मिले । केवल तभी राष्ट्र की सर्वांगीण प्रगति होगी ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

चुनाव में खडे होने का वास्तविक कारण !

‘राष्ट्र और धर्म के लिए कुछ कर पाएं, इसलिए कोई चुनाव में खडा नहीं होता; अपितु स्वयं को मान-सम्मान और पैसे मिलें, इसके लिए अधिकांश लोग चुनाव में खडे होते हैं !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

अधोगामी बुद्धिप्रमाणवादी !

‘बुद्धिप्रमाणवादी आधुनिकतावादी नहीं; अधोगामी होते हैं । इसलिए वे अधोगति को प्राप्त करते हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

हिन्दू राष्ट्र हेतु पराकाष्ठा के प्रयास करें !

‘नष्ट करना सरल है, पर निर्माण करना कठिन है । तब भी हमें पराकाष्ठा के प्रयास कर साधक एवं हिन्दू राष्ट्र निर्माण करना है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

मानव श्रेष्ठ या प्राणी एवं वनस्पति ?

‘मानव के अतिरिक्त अन्य कोई प्राणी अथवा वनस्पति छुट्टी नहीं लेता । ईश्वर भी एक भी सेकंड की छुट्टी नहीं लेते । मानव मात्र शनिवार एवं रविवार छुट्टी लेता है । इतना ही नहीं वर्ष में भी कुछ दिन अधिकारपूर्वक छुट्टी लेता है । ऐसे में इस विषय में मानव श्रेष्ठ है या प्राणी एवं … Read more

नेताओं और राष्ट्रप्रेमियों में भेद !

नेताओं के सभी कार्यों का एकमात्र उद्देश्य होता है, ‘अगले चुनाव में चुनकर आना’, जबकि राष्ट्र और धर्म प्रेमियों को उद्देश्य होता है, ‘राष्ट्र और धर्म को अच्छी स्थिति में लाना ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

सनातन के आश्रमों की अद्वितीयता !

‘समाज में, कार्यालय में तथा अन्यत्र अहंकार, झूठ बोलना भ्रष्टाचार इत्यादि का अनुकरण किया जाता है; जबकि सनातन के आश्रमों में सद्गुणों का अनुकरण किया जाता है !’ – (परात्पर गुरु ) डॉ. आठवले

आंतरिक ‘मेक-अप’ का महत्त्व !

‘बाहर का शृंगार (मेक-अप) अन्यों को आकर्षित करता है । इसके विपरीत भीतरी शृंगार (मेक-अप) अर्थात स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन ईश्वर को आकर्षित करता है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले