भक्ति का महत्व !

‘पृथ्वी के काम भी बिना किसी के परिचय के नहीं होते, तो प्रारब्ध अनिष्ट शक्ति की पीडा आदि समस्याएं भगवान के परिचय के बिना भगवान दूर करेंगे क्या ?’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

धर्मबंधन का महत्त्व

‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता के कारण मानव भटकता जाता है; क्योंकी वह सात्विक नहीं । ऐसा ना हो; इसके लिए धर्मबंधन आवश्यक है !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

तथाकथित बुद्धिवादी

वास्तविक बुद्धिवादी प्रयोग कर निष्कर्ष तक पहुंचते हैं । इसके विपरीत स्वयं को बुद्धिवादी कहलानेवाले साधना का, अध्यात्म का प्रयोग किए बिना ही कहते हैं, ‘वह झूठा है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

भारत की दुर्दशा !

‘पूर्व काल में भारत का परिचय था, ‘अध्यात्मशास्त्र और संसार को साधना सिखानेवाला साधु- संतों का देश ।’ आज वही पहचान ‘राष्ट्राभिमान और धर्माभिमान रहित भ्रष्टाचारी लोगों का देश’ ऐसी बन गई है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

ईश्वर की कृपा का महत्व !

‘ईश्वर की कृपा अनुभव करने के उपरांत समाज में कोई प्रशंसा करे, तो उसका मूल्य शून्य प्रतीत होता है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

कहां वैज्ञानिक और कहां ऋषि- मुनि !

‘कहां परग्रह पर जानेवाले यान की खोज करने पर विज्ञान की प्रशंसा करनेवाले बुद्धिप्रमाणवादी ; और कहां केवल विश्व में ही नहीं अपितु सप्तलोक एवं सप्त पाताल में भी क्षणार्द्ध में सूक्ष्म से पहुंच पानेवाले ऋषि-मुनि !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

देश के रसातल में पहुंचने का कारण !

‘प्रथम मुगल, आगे अंग्रेज और अब राष्ट्रप्रेम रहित विभिन्न राजनीतिक दलों के कारण देश रसातल में पहुंच गया है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

समाजपुरुष द्वारा साधना करने का महत्व !

‘राजनीतिक पक्ष दल ‘हम यह देंगे, वह देंगे’ ऐसा कहकर जनता को स्वार्थी बनाते हैं और स्वार्थ के कारण जनता में वाद विवाद होते हैं । इसके विपरीत साधना त्याग करना सिखाती हैं; इस कारण जनता में वाद विवाद नहीं होते और सभी मिलकर एक परिवार के रूप में आनंद से रहते हैं ।’ – … Read more

सभी क्षेत्रों में देश की स्थिति दयनीय होने का कारण

‘जैसे जो डॉक्टर नहीं है, वह रोगी पर उपचार करे, तो स्थिति दयनीय होती है । वैसे ही जिसे राष्ट्र और धर्म के प्रति प्रेम नहीं है, उस जनता को ‘राष्ट्र और धर्म के विषय में प्रेम ना रखनेवाले’ राजनीतिक दलों को चुनने का अधिकार देने के कारण, देश की सभी क्षेत्रों में दयनीय स्थिति … Read more