आंखों के रोग और उन पर होमियोपैथी की और बाराक्षार औषधि

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अनुक्रमणिका

होमियोपैथी वैद्य प्रवीण मेहता

 

१. आंखों की देखभाल कैसे करें ?

१ अ. पढते समय और लिखते समय दंडदीप का प्रकाश सीधे आंखों पर न पडते हुए पीछे से अथवा बाएं से आए, इसप्रकार आयोजन करें । दिन में भी सूर्य की किरणें आंखों पर अथवा संगणक पर / पुस्तक पर सीधे न पडने दें ।

१ आ. आंखों पर तनाव आए, ऐसे अपर्याप्त प्रकाश में, इसके साथ ही जगमगाते प्रकाश (तेज रोशनी) में पढें अथवा लिखें नहीं ।

१ इ. अत्यंत महीन अथवा अस्पष्ट अक्षरों का लेखन न पढें ।

१ ई. जलद गति से चलनेवाले अथवा ऊपर-नीचे होनेवाले वाहन से जाते समय पढें नहीं ।

१ उ. सोकर, लेटकर पुस्तक को ऊपर लेकर न पढें । पढते समय पुस्तक सदैव आंखों के नीचे होनी चाहिए ।

१ ऊ. शीर्षासन, इसके साथ ही सर्वांगासन करने से आंखें तेजस्वी होती हैं ।

१ ए. आंखों में जलन अथवा उनके लाल होने पर अथवा बोरियत होने पर थकान हो रही हो, तो आंखें बंद कर लेट जाएं और शवासन करें । तदुपरांत दीर्घ श्वास लेकर दूर की झाडियों पर दृष्टि डालें । आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें और आंखें बंद कर विश्राम करें ।

१ ऐ. मस्तक, कान, नाक, गर्दन, आंखें, गाल के साथ ही ठोडी के नीचे गले के कोमल भाग को हलके हाथ से मालिश करें । इससे रक्ताभिसरण शीघ्र होगा और आंखों को ठंडक मिलेगी । इसप्रकार सप्ताह में कम से कम दो बार करें ।

 

२. आंखों के लिए किए जानेवाले विशिष्ट व्यायाम बिस्तर पर लेटे-लेटे अथवा बैठकर या खडे होकर ये व्यायाम कर सकते हैं ।

२ अ. संभव हो उतनी दूर, दाएं, बाएं और ऊपर-नीचे, इसके साथ ही चारों ओर निरंतर देखने का प्रयत्न करें ।

२ आ. आंखों को तेज गति से बंद करें और खोलें ।

२ इ. ऐसे ही खोलते-बंद करते समय एक के बाद दूसरी आंख खोलें और बंद करें, अर्थात एक आंख बंद कर दूसरी खोलें । यह क्रिया गति से करें ।

२ ई. दोनों आंखें क्षितिज की ओर स्थिर कर, गोल-गोल घुमाएं ।

२ उ. रात्रि खुले में सोएं और सोते-सोते दूर आकाश में चंद्र, तारों की ओर आंखों में पानी आने तक एकटक देखते रहें ।

२ ऊ. चलते समय दूर की झाडियों पर, घर पर, बिजली के खंबे पर दृष्टि लगाकर चलने की आदत डालें । इससे आंखों का तेज बढता है ।

 

३. आंखों की बीमारी और उस पर होमियोपैथी की औषधियां

३ अ. रूटा ३० अथवा २००

सिलाई करना, छोटे अक्षर पढना, संगणक पर निरंतर काम करने से आंखों पर तनाव आने से सिर में वेदना होना, आंखें लाल होकर गरम होना

३ आ. ॲकोनाइट ३०

अकस्मात् आंखें आना, आंखों से बहुत स्राव होकर पलकों में सूजन, वेदना होना; रात्रि में उबदार हवामान में वेदना बढना, खुली हवा में अच्छा लगना

३ इ. अर्निका ३०

आंखों में चोट लगने से आंखों की सूजन, आंखों के आसपास की त्वचा काली होना

३ ई. बेलाडोना ३०

आंखों में सूजन; परंतु आंखों से पानी न आना, आंखों की पलकें लाल होना, पुतलियां बडी होना, रात के समय कष्ट बढना

३ उ. आर्सेनिक आल्ब ३०

आंखों में वेदना होकर आंखें लाल होना, आंखों में जलन होना, आंखों से जलन युक्त स्राव आना, आंखें खोलने में कठिनाई होना, आंखें खोलने में कठिनाई होना, मध्यरात्रि के उपरांत कष्ट में वृद्धि होना, गरम सेंक करने पर अच्छा लगना

३ ऊ. मर्क्यूरीस सोल ३०

आंखों में सूजन आना और आंखें खोलना कठिन होना, काटने समान वेदना होना, आंखों से पीप आना

३ ए. युफ्रेशिया ६ अथवा ३०

आंखें आना, पलकों में सूजन और जलन होना, आंखों से सतत पानी आना, सायंकाल और कक्ष में होनेपर आंखों से सतत पानी आने की मात्रा बढना, अंधेरे में और खुली हवा में अच्छा लगना

३ ऐ. जल्सेमियम ३०

दो-दो दिखाई देना, पुतलियों में सूजन आना और वेदना होना

३ ओ. पल्सेटिला ६ अथवा ३०

आंखों से गाढा पीला स्राव आना, सवेरे उठने पर पलकें चिपक जाना, आंखें मलने पर पलकों के चिपकने की मात्रा बढना, खुली हवा में अच्छा लगना

३ औ. सिलिशिया ३०

आंखों में ऐसी सूजन आना, मानो आंखों में कुछ चला गया है

 

४. आंखों के रोग और उनके लिए उपयुक्त बाराक्षार औषधियां

४ अ. फेरम फॉस ६x

आंखों के किसी भी भाग का दाह; परंतु पीप अथवा स्राव न होना; वेदना, आंखों की हलचल करने पर वेदना में वृद्धि होना । आंखों में जलन होना, आंखें लाल होना, ऐसा लगना मानो पलकों के नीचे बालू के कण हैं, दृष्टि कम होना, पढते समय अक्षर धुंधले दिखाई देना, दाईं आंख के निचली पलक पर अंजनहारी (गुहेरी), ठंडे पानी के स्पर्श से अच्छा लगना, आंखें सूखी होना

४ आ. काली मूर ६x

आंखों से सफेद अथवा पीला, हरा स्राव बहना; ‘ऐसा लगना जैसे आंखों में बालू के कण चले गए हों’, आंखों के पुतली के पर्दे पर (Cornea) व्रण (घाव) होना, जीभ पर सफेद पतली सतह आना, मोतीबिंदु, प्रकाश सहन न होना और आंखों से सतत पानी आना

४ इ. काली फॉस ६x

धुंधला दिखाई देना, ऐसा प्रतीत होना मानो आंखों में बालू अथवा लकडी चली गई हो’, आंखों की किनार में सूजन आना, प्रकाश सहन न होना और आंखों में जलन होना

४ ई. काली सल्फ ६x

आंखों की पलकों पर पीली-सी खपली बनना, आंखों से हरा, पीला स्राव बहना और आंखों की पुतली के पर्दें में पीप होना

४ उ. मैग फॉस ६x

पलकें नीचे आना (drooping), उजाला सहन न होना, पुतली छोटी होना, आंखों के सामने रंग, चिंगारियां दिखाई देना; पलकें फडकना और वस्तु दो दिखाई देना

४ ऊ. नेट्रम मूर ६x

आंखों से पानी बहना, आंखों की स्नायुओं पर तनाव आना, आंखों की पुतली के पर्दे दे पर फुंसियां आना, आंखों से पानी समान चिकना स्राव आना, अंजनहारी होने पर आंखों से पानी बहना, ठंडे पानी के स्पर्श से अच्छा लगना, दाईं आंख पर अंजनहारी (गुहेरी) आना, काचबिंदु होना

४ ए. नेट्रम फॉस ६x

आंखों की दाह, पीला-सा, गाढा स्राव आंखों से बहना; सवेरे पुतलियों का एकदूसरे से चिपकना, आंखों से जलन युक्त पानी बहना, आंखें रक्त समान लाल होना, दृष्टि अति मंद होना, ‘ऐसा लगना कि आंखों के सामने पर्दा आ गया है’, आंखों के सामने चिंगारियां दिखाई देना

४ ऐ. नेट्रम सल्फ ६x

आंखों की पुतलियों पर वेदना होना, पुतलियों के अंदर का पर्दा (Conjunctiva) पीला होना, आंखों में जलन होना और उसके साथ ही आंखों से जलन युक्त पानी आना, आंखों की किनार में जलन होना

४ ओ. सिलिशिया ६x

पलकों पर अंजनहारी (गुहेरी) होना, अंजनहारी में पीप आने से उसकी सहजता से निकासी होने के लिए गरम पानी से सेंक देने पर अच्छा लगना, अंजनहारी (गुहेरी) बारंबार आने की प्रवृत्ति, पैरों पर आनेवाला पसीना अन्य औषधि देकर बंद करने पर परिणामस्वरूप मोतीबिंदु होना

४ औ. कल्केरिया फॉस ६x

मोतीबिंदु में वृद्धि रोकने के लिए उपयुक्त, छोटे बच्चों के दांत आने पर होनेवाला आंखों का सूखा दाह (आंखों से पानी नहीं आता), प्रकाश सहन न होना, आंखों की पुतलियों के पर्दे की पारदर्शकता न्यून होना (Corneal opacity)

४ अं. कल्केरिया सल्फ ६x

आंखों की पुतलियों के पर्दे में व्रण (जख्म) होना, नेत्रदाह, आंखों से गाढा सफेद स्राव आना, ऐसा प्रतीत होना मानो आंखों में कुछ तो गया है

४ क. कल्केरिया फ्लोर ६x

आंखों के सामने चिंगारियां दिखाई देना, आंखों पर तनाव देने से धुंधला दिखाई देना, मोतीबिंदु

 

५. औषधि लेने की मात्रा

५ अ. होमियोपैथी की औषधि लेने की मात्रा

‘३० अथवा २०० पोटेंसी’की २ बूंदें ३ बार लें अथवा ३ गोलियां दिन में ३ बार लें ।

५ आ. बाराक्षार औषधि लेने की मात्रा

‘६x पोटेंसी’की ४ गोलियां दिन में ३ बार लें ।

 

६. औषधि घर पर रखनी हो, तो कैसे रखें ? इसके साथ ही औषधीय गोलियों तैयार करने की प्रक्रिया

६ अ. ७ -८ लोगों के एक कुटुंब के लिए ये औषधियां घर रखनी हो तो ये

६ अ १. द्रव स्वरूप में औषधि १५ मि.लि.
६ अ २. कोई भी औषधि तैयार करने के लिए आवश्यक ३० क्रमांक की गोली कम से कम पाव किलो
६ अ ३. एक ड्रम  की प्लास्टिक की बोतलें
६ अ ४. बोतल पर औषधि का नाम लिखने के लिए लेबल्स
६ अ ५. बाराक्षार औषधि की गोलियां ‘६x पोटेंसी’की २५ ग्राम.

६ आ. औषधीय गोलियां तैयार करने की प्रक्रिया

६ आ १. एक ड्रम की बोतल स्वच्छ पोछकर उसमें गोलियां भरें ।

६ आ २. इन गोलियों में जो औषधि तैयारी करनी है, उसकी ७ से ८ बूंदें डालें ।

६ आ ३. ढक्कन बंद कर बोतल ठीक से हिलाएं, जिससे सभी गोलियों में वह द्रव लगकर वे गीली हो जाएं ।

६ आ ४. औषधि का नाम और उसकी ‘पोटेंसी’ लेबल पर लिखकर चिपकाएं ।

६ आ ५. बाराक्षार औषधि की गोलियां भी लेबल लगाकर रखें । उसमें कोई भी द्रव डालने की आवश्यकता नहीं होती ।

संकलक : होमियोपैथी वैद्य (डॉ.) प्रवीण मेहता, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल. (११.३.२०२०)

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