बद्धकोष्ठता (Constipation) इस बीमारी पर होमियोपैथी औषधि

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सभी से विनती है कि बीमारी पर स्वउपचार आरंभ करने से पूर्व ‘होमियोपैथी स्वउपचार संबंधी मार्गदर्शक सूत्र और औषधि का चयन कैसे करें ?’, इससे संबंधित जानकारी पाठक पहले पढकर समझ लें और उस अनुसार ही औषधि का चयन करें !

संकलक : होमियोपैथी डॉ. प्रवीण मेहता, डॉ. (श्रीमती) संगीता अ. भरमगुडे एवं डॉ. अजीत भरमगुडे

होमियोपैथी वैद्य (डॉ.) प्रवीण मेहता

सप्ताह में ३ से कम बार शौच होना, शौच शुष्क एवं कडक होना, शौच करने में कठिनाई होना, शौच करते समय वेदना होना, इसके साथ ही शौच अपूर्ण होने का भान होना, इसे ‘बद्धकोष्ठता’ कहते हैं । अयोग्य आहार की आदत, यह बद्धकोष्ठता का प्रमुख कारण हैं ।

डॉ. अजीत भरमगुडे
डॉ. (श्रीमती) संगीता अ. भरमगुडे

 

१ बद्धकोष्ठता न हो, इस हेतु किए जानेवाले प्रयत्न

१ अ. शौच का भान होते ही उसकी अनदेखी न करते हुए, तत्परता से शौच के लिए जाएं ।

१ आ. प्रतिदिन प्यास लगने की मात्रा अनुसार कम से कम ८-९ गिलास पानी पीएं ।

१ इ. प्रतिदिन अपनी क्षमता अनुसार व्यायाम करें ।

१ ई. आहार में शाक-सब्जियां एवं फलों का भारी मात्रा में सेवन करें ।

१ उ. कॉफी पीना टालें ।

 

२. औषधि

२ अ. नक्स वॉमिका (Nux Vomica)

२ अ १. अतिमात्रा में कॉफी, चाय, मद्य का सेवन, बौद्धिक तनाव के कारण होनेवाली बद्धकोष्ठता

२ अ २. थोडा भोजन करने पर भी पेट बहुत भर गया है, ऐसा लगना

२ अ ३. शौच के लिए जाना प्रतीत होना, परंतु जाने पर शौैच अत्यल्प होना

२ आ. अल्यूमिना (Alumina)

२ आ १. अल्युमिनियम के बर्तनों में भोजन पकाने से अल्युमिनियम का अंश पेट में जानेसे होनेवाली बद्धकोष्ठता

२ आ २. शौच अत्यंत कडक होने से बीमार व्यक्ति को बहुत जोर लगाना पडता है

२ आ ३. प्रत्येक २ दिनों में शौच होना

२ आ ४. पीठ में तीव्र जलन समान वेदना होना

२ इ. ब्रायोनिया अल्बा (Bryonia Alba)

२ इ १. शौच सूखी, कडक होना, शौच के समय जलन होना

२ इ २. बद्धकोष्ठता और उसके साथ सिरदर्द होना

२ इ ३. सदैव गला सूखना और बहुत प्यास लगना, बहुत बार पानी पीना

२ इ ४. उष्ण हवामान में सभी को व्याधियों का अधिक कष्ट होना ।

२ ई. ओपियम (Opium)

२ ई १. शौच गोल, कडक काले पत्थर समान

२ ई २. अनेक दिन शौच जाने की इच्छा न होना

२ ई ३. सतत नींद आते रहना

२ उ. प्लंबम् मेटैलिकम्  (Plumbum Metallicum)

२ उ १. रंगाई-पुताई करनेवाले श्रमिकों (मजदूरों) में शीशे की विषबाधा के कारण होनेवाली बद्धकोष्ठता

२ उ २. संगमरमर समान सफेद शौच होना

२ उ ३. पेट में तीव्र खिंचाव समान वेदना होना, ऐसा लगना मानो नाभी अंदर रीढ की दिशा में खिंच रही हो

२ उ ४. जबडों की किनार नीली पडनी

२ ऊ. सैनिकुला क्वा (Sanicula Acqua)

२ ऊ १. बद्धकोष्ठता की बीमारी बहुत समय से (chronic) होना

२ ऊ २. ४ से ५ दिन शौच न होना

२ ऊ ३. शौच बाहर गिरना कठिन होना और उसके लिए पसीना आने तक जोर लगाना

२ ए. सल्फर (Sulphur)

२ ए १. शौच जाने की इच्छा पुन:पुन: होना; परंतु शौच जाने पर समाधान न होना

२ ए २. कडक, गुठलियां युक्त और साफ शौच न होना

२ ए ३. गुदद्वार के भाग में जलन होना

२ ए ४. प्रतिदिन सवेरे ११ बजे थकान जैसा प्रतीत होना

२ ऐ. थुजा ऑक्सिडेंटेलिस (Thuja Occidentalis)

२ ऐ १. शौच में कडक, काले गोले पडना

२ ऐ २. शौच बाहर गिरने के बजाय पुन: अंदर जाना

२ ओ. मैग्निशियम म्युरियाटिकम् (Magnesium Muriaticum)

२ ओ १. छोटे बच्चों को दांत आते समय होनेवाली बद्धकोष्ठता

२ ओ २. बकरी की लेंढी समान कडक शौच होना और गुदद्वार से उसके Ñ)टुकडे गिरना

२ ओ ३. शौच आरंभ में कडक और बाद में नरम होना

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