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- आंखें आईं हों अथवा आंखें न आएं, इसके लिए आगे दिए गए देवताओं का निम्नानुसार जप करें !
- साधक, कार्यकर्ता, पाठक एवं धर्मप्रेमियों को सूचना
- १. आंख आना क्या है ?
- २. शास्त्रीय भाषा में आंख आना रोग को क्या कहते हैं ?
- ३. इस रोग के लक्षण क्या हैं ?
- ४. आंख आना इस बीमारी के अन्य कौन से लक्षण हैं ?
- ५. आंख आना यह बीमारी किस कारण फैलती है ?
- ६. आंख आए रोगी को क्या सावधानी रखनी चाहिए ?
- ७. आंख न आएं, इसलिए व्यक्ति को क्या ध्यान रखना चाहिए ?
- ८. आंख आना यह बीमारी कितनी गंभीर है ?
- ९. ‘आंख आईं हों तो आगे दिए अनुसार आहार एवं औषधि लें
आंख आना, यह आंखों का एक संक्रामक रोग है । वर्तमान में अनेक भागों में यह रोग फैला है और उसका संक्रमण शीघ्रता से हो रहा है । सर्व आयु के व्यक्ति प्रमुखरूप से बच्चे इस बीमारी से ग्रस्त हैं । ‘आंखें आना’ वास्तव में क्या है ? वह किसलिए होता है ? उसके लक्षण क्या हैं ? उसके रोकथाम के लिए कौनसी उपाययोजना की जा सकती है ? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आज हम समझ लेंगे और बीमारी संबंधी सभी सजग हो जाएंगे । आंखें आने पर क्या सावधानी बरतें और कौनसा नामजप करें, इस विषय में अवश्य समझ लें ।
आंखें आईं हों अथवा आंखें न आएं, इसके लिए आगे दिए गए देवताओं का निम्नानुसार जप करें !

वर्तमान में आंख आना (आंखें लाल होने की साथ) यह संक्रामक रोग बहुत दूर-दूर तक फैल जाता है । अपने परिसर में किसी को आंखें आईं हों, तो इस लेख में दिए अनुसार सावधानी रखें और उपाययोजना करें । स्वयं को आंखें आई हों, तो डॉक्टर के परामर्श से आंखों में औषधि भी अवश्य डालें । हमें आंखें आईं हों, तो अन्यों को वह न आए, इसका हमें ध्यान रखना है ।
आंखें आईं हों अथवा आंखें न आएं, इसके लिए देवताओं का आगे दिए अनुसार जप ‘प्रतिदिन १ घंटा’, इसप्रकार कम से कम ७ दिन करें । यह नामजप निरंतर १ घंटा न हो पाए, तो आधे-आधे घंटे, इसप्रकार दिन में २ बार भी कर सकते हैं ।
‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । श्री हनुमते नमः । ॐ नमः शिवाय । ॐ नमः शिवाय।’
यहां दिया हुआ नामजप उसी क्रम से कहने पर एक नामजप माना जाएगा । इसप्रकार यह नामजप नियोजित समय तक (उदा. आधे अथवा १ घंटे तक) पुनःपुन: करें ।
– (सद़्गुरु) डॉ. मुकुल गाडगीळ, गोवा. (४.८.२०२३)
साधक, कार्यकर्ता, पाठक एवं धर्मप्रेमियों को सूचना
आंखें आईं हों अथवा आंखेें न आएं, इस हेतु इस लेख में दिया गया नामजप करने के उपरांत किसी को कुछ अनुभूति हुई हो अथवा उन्हें कुछ विशेष अनुभव आए हों, तो कृपया वह अनुभूति sankalak.goa@gmail.com इस ईमेल पते पर भेजें !

१. आंख आना क्या है ?
आंखें आना, यह एक आंखों का संक्रामक रोग है । इसमें आखों से चिपचिपा स्राव (कीचड) आता है और आंखें लाल हो जाती हैं ।
२. शास्त्रीय भाषा में आंख आना रोग को क्या कहते हैं ?
आंखों के इस संक्रामक रोग को कन्जंक्टिवाईटिस’ (conjunctivitis) अथवा ‘रेड आईज्’ (red eyes) अथवा ‘सोर आईज्’ (sore eyes) कहते हैं । यह रोग सामान्यत ‘बैक्टेरियल’ (जीवाणु) अथवा ‘वायरल’ (संक्रामक) होता है; परंतु वर्तमान में यह संक्रामक रोग ‘वायरल’ स्वरूूप का है, जो ‘एडिनोवायरस’ (Adenovirus) नामक विषाणु के कारण होता है ।
३. इस रोग के लक्षण क्या हैं ?
सर्वप्रथम आंखें लाल होकर आंखों से चिपचिपे स्वरूप का स्राव (कीचड) आता है । तदुपरांत पलकों की सूजन आती है और विशेषरूप से सवेेरे वे चिपक जाती हैं । कुल मिलाकर इससे अस्वस्थता निर्माण होती है । स्राव अधिक हो, तो कभी-कभी धुंधला दिखाई दे सकता है ।
४. आंख आना इस बीमारी के अन्य कौन से लक्षण हैं ?
इन विषाणुओं के कारण सर्दी, खांसी, सिरदर्द, बदन दर्द, कभी-कभी बुखार भी आ सकता है ।
५. आंख आना यह बीमारी किस कारण फैलती है ?
यह बीमारी संक्रामक होने से तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को फैलती है । आंखें आए हुए व्यक्ति यदि अपनी आंखों को स्पर्श कर, उसी हाथ से किसी वस्तु को स्पर्श करता है और फिर वही वस्तु कोई अन्य व्यक्ति स्पर्श करने के पश्चात भूल से भी यदि वह हाथ आंखों पर लगा ले तो बीमारी उसे भी हो जाती है । उदाहरणार्थ आंखें आए व्यक्ति का रूमाल, पेन, तौलिया, चम्मच, गॉगल्स इत्यादि वस्तुएं उपयोग करने से यह बीमारी बढती है ।
६. आंख आए रोगी को क्या सावधानी रखनी चाहिए ?
६ अ. आंख आना ध्यान में आने पर सर्वप्रथम संभव हो तो स्वयं ही अलग रहें । (आयसोलेट हों) ।
६ आ. आंखों को स्पर्श न करें अथवा मलें नहीं ।
६ इ. आंखें पोछने के लिए ‘टिश्यू पेपर’का उपयोग करें ।
६ ई. वैद्यकीय परामर्श से ही उपचार आरंभ करें । अपने मन से औषधियों की दुकान से कोई भी ‘ड्रॉप’ खरीदकर न डालें ।
उ. हलका ताजा आहार लें ।
६ ऊ. बारंबार हाथ धोते रहें ।
६ ए. अपनी वस्तुएं औरों को न दें ।
६ ऐ. छोटे बच्चों में इस बीमारी की मात्रा अधिक होने से आंख आए बच्चों को विद्यालय में न भेजें ।
६ ओ. कटोरी में गरम पानी लेकर उसमें रुई का फोहा भिगोकर उससे आंखों की पलकों पर हलकी-सी सिकाई करें ।
६ औ. प्रखर प्रकाश से संरक्षण होने के लिए काले गॉगल का उपयोग करें ।
७. आंख न आएं, इसलिए व्यक्ति को क्या ध्यान रखना चाहिए ?
आंखों को अकारण ही हाथ न लगाएं अथवा आंखें न मलें । बीमारी व्यक्ति के संपर्क में आने पर कुछ-कुछ समय पश्चात हाथ धोएं अथवा सैनिटाइजर का यथोचित उपयोग करें । बाधित व्यक्ति की वस्तु का उपयोग न करें ।
८. आंख आना यह बीमारी कितनी गंभीर है ?
यह बीमारी बिलकुल गंभीर नहीं है; परंतु उचित ध्यान न देने पर अथवा उसे अनदेखा करने पर एवं औषधीय उपचार न करने पर इस बीमारी के उपद्रव निर्माण होते हैं और फिर यह बीमारी गंभीर हो सकती है । यथायोग्य उपचार लेने पर यह बीमारी साधारणतः ३ से ७ दिनों में पूर्णरूप से ठीक हो जाती है ।
वैद्यकीय सलाह से निर्धारित आयुर्वेद की औषधियां लेने पर बीमारी ठीक होने में सहायता होती है ।
– डॉ. निखिल माळी, आयुर्वेद नेत्ररोगतज्ञ, चिपळूण, जिला रत्नागिरी.
९. ‘आंख आईं हों तो आगे दिए अनुसार आहार एवं औषधि लें
अ. आंखें ठीक होने तक प्रतिदिन सादी मूंग की पतली दाल (बिना तडके की) और भात, रवा का उपमा, रवा का हलवा, लपसी, मूंगदाल डालकर चावल की खिचडी इत्यादि ले सकते हैं । ये आहार पचने में हलके होते हैं ।
आ. २ – २ चिमटी त्रिफला चूर्ण दिन में ४ – ५ बार चुघलाकर खाएं ।
इ. आंखों में जलन हो रही हो, तो सोते समय ककडी के गोल चकते काटकर उसे स्वच्छ धुले हुए रूमाल से आंखों पर बांधें । ककडी समान ही सैजन (मोरिंगा) पेड की पिसी हुई पत्तियां आंखों पर बांध सकते हैं ।
ई. चिमटीभर भीमसेनी कपूर हथेली पर मलें और हथेली आंखों के समीप रखें । हथेली आंखों पर न टिकाएं । इस उपाय से आंखों की जलन तुरंत कम हो जाती है ।’